पूरी दुनिया हैरान और परेशां है कोरोना के कहर से| जिस रफ़्तार से संपूर्ण विश्व में कोरोना फ़ैल रहा है, लोग बस घरो में बंद आश्चर्य से इसे बढ़ते और लोगो की जान लेते देख रहे है| पूरी दुनिया इसी भय में है की ये वायरस और कितने लोगो की जान लेगा और कितने दिनों तक पूरा विश्व यूँही बंद पड़ा रहेगा|

भारत सहित विश्व के नेताओं ने निर्णायक और युध्स्तर पर कोरोना से निपटने ’पर काम किया है| पपूरा विश्व पूरी तरह से लॉक डाउन का पालन कर रहा है और सरकार इसका सख्ती से पालन करवा भी रही है| इस तरह एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भार को कम किया है जो वायरस के बड़े पैमाने पर प्रसार को संभालने के लिए सक्षम नहीं है। चीन, सिंगापुर, जापान, थाईलैंड आदि देशों में स्थिरता के कुछ संकेतों के साथ, आने वाले हफ्तों में प्रसार की दर कम होने की उम्मीद है।

इस लॉक डाउन में हर देश ने अपने आप को स्वस्थ्य सेवाओं में थोड़ी मजबूती देने की कोशिश की है, और लॉक डाउन की वजह से ये मुमकिन हो पाया है| इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले गर्मियों से corona के खिलाफ हमारी लड़ाई को थोड़ी और मजबूती मिलेगी|

हालांकि लॉक डाउन की वजह से अर्तव्यवस्था काफी प्रभावित है|

वैश्विक स्तर पर अधिकांश प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लॉकडाउन के साथ, कोरोनावायरस अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। कारखानों, मॉल, कार्यालयों आदि को बंद कर दिया गया है।

हालांकि लॉकडाउन के कुछ हफ्तों तक चलने की उम्मीद है, लेकिन लंबी अवधि के लॉकडाउन का डर है - या उसी का संशोधित रूप। यदि यह बहुत लंबे समय तक जारी रहता है, तो आर्थिक प्रभाव - बेरोजगारी, उत्पादों की उपलब्धता, कॉर्पोरेट दिवालिया, आदि के रूप में - गंभीर हो सकता है। 

कुछ हफ़्तों के लिए अर्थ्वयास्था को बंद कर देना पुरे विश्व के अर्थव्यवस्ता को हिला कर रख देने के लिए काफी है| इस से निपटने के लिए विभिन्न देश की सरकारों को इस पर सही तरीके से कार्य करने की जरुरत है| सरकार को सही कदम उठाते हुए जरुरतमंदो को सही मदद देने की जरुरत है| जैसे अर्थव्यवस्था के कमजोर वर्ग को सीधे समर्थन देना, पूंजी का अतिरिक्त जलसेक, ऋणों पर रोक, आदि| 

यह अनिवार्य रूप से वर्तमान का समर्थन करने के लिए 'भविष्य से उधार लेता है'। संकट के समय में, यह आगे बढ़ने का सही तरीका है। इससे अल्पावधि में बैंकों, शेयर बाजारों और बॉन्ड बाजारों पर प्रभाव को कम करना चाहिए - और इससे बेरोजगारी और दिवालिया होने को कम किया जा सकता है। 

इतिहास हमें क्या दिखाता है?

निफ्टी (भारत में बेंचमार्क स्टॉक मार्केट इंडेक्स) 20 फरवरी में अपने हाल के चरम से 29% नीचे था और सबसे खराब बिंदु 37% नीचे था। इस तरह की गिरावट बहुत कम देखने को मिलती है। अतीत में इस तरह की गिरावट का समय के साथ उलटफेर भी हुआ है। इसमें से बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोनोवायरस प्रभाव को फिर से लागू होने में कितना समय लगेगा और कितनी अच्छी तरह से सरकारें आर्थिक प्रभाव को कम कर सकती हैं।

निवेशक चिंतित है, पर धैर्य के आलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है

अधिकांश निवेशक अपने निवेश को गिरता देख काफी चिंता में है, उन्हें ये समझ नहीं आ रहा की वो रुके या अपने बचे खुचे पैसे निकाल ले| पर यह वक्त संयम रखने का है, अभी निकाला गया पैसा सिर्फ नुक्सान ही देगा|

और आप अगर थोड़ा अध्ययन करे तो समझेंगे की पोर्टफोलियो में कई कंपनियां न केवल अतीत में ऐसे कई संकटों से बची हैं, बल्कि संकट के गुजरने के बाद बेहतरीन प्रदर्शन भी किया है| बस इस बार जो विषय लोगो को अधिक चिंतित कर रही है वो ये है की इस बार जिस दुश्मन से हमारी लड़ाई है वो बिलकुल नयी है और हम ये नहीं जानते की इस से हमे कब तक और कैसे लड़ना है|

मार्च के महीने में बाज़ार के हालात

Equity   


Fixed income


Indian Mutual Fund Industry as of February End 2020


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