नमस्कार पाठकों!

कैसे है आप सभी? 

निवेश, एक ऐसा तरीका या जरिया, जिसके तहत कई लोग अपने भविष्य के सपनों को आर्थिक तौर से सुरक्षित करते है| निवेश को अपनी आदत बनाने के लिए, हर व्यक्ति को एक उचित बचत की योजना बनानी चाहिए, जिसके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है की वो अपने खर्चों को सीमित रखें| जितनी तेजी से दुनिया, डिजिटिकरण के दौर में प्रवेश कर रही, उतनी ही तेजी से लोग डिजिटल खरीददारी के तरफ आकर्षित हो रहे है| 

आज के समय में, गौर करे तो इंटरनेट की दुनिया में कई ऑनलाइन शौपिंग साइट्स उपलब्ध है जहाँ आपको सिर्फ कपडे ही नहीं बल्कि घर की चीज़ें, राशन की चीज़ें, फर्नीचर, खाना, माने तो लगभग ज़रुरत का हर सामान उपलब्ध है| बहुत से लोगों का मानना है की ऑनलाइन खरीददारी सबसे बढ़िया और आसान तरीका है, क्योंकि लोगों को ज़रुरत का सामान खरीदने के लिए कई दुकानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते, और घर बैठे ही उन्हें ज़रुरत का हर सामान मिल जाता है|

ऑनलाइन खरीददारी करना गलत नहीं है, पर वह कहते है न, हर चीज़ की एक सीमा-रेखा होनी चाहिए, ठीक उसी तरह ऑनलाइन शोपिंग की भी एक सीमा होनी चाहिए और सबसे बड़ी बात, ऑनलाइन ख़रीददारी हमेशा ही समझदारी के साथ करे, ताकि आप अधिक और बेमतलब के खर्चों को बचत कर सके

ऑनलाइन खरीददारी करते समय लोग, अक्सर अधिक और बेमतलब के खर्चों को नज़रअंदाज़ कर देते है, जबकि अगर उचित योजनाओ के साथ खरीददारी की जाएं तो इन बेमतलब के खर्चों को बचाया जा सकता है, इसके लिए ज़रूरी है की ऑनलाइन खरीददारी करते समय, निम्न बातों का ध्यान रखें-

1. बिक्री (Sales) या छूट (Discount), खरीददारी के लिए सही समय है, पर अधिक खरीददारी के लिए नहीं- ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर सर्फिंग करते समय, लोग कई चीज़ों को अपने कार्ट (Cart) में जोड़ देते है, ताकि जब सेल या डिस्काउंट लगे, तो वो इन चीज़ों को कम दाम में खरीद सके| खैर डिस्काउंट या सेल के मौसम में खरीददारी गलत नहीं है, सिर्फ आपको इस बात का ध्यान देना है की कहीं डिस्काउंट के दाम में कोई और दाम तो नहीं छुपा, अगर ऐसा है तो फिर डिस्काउंट का मतलब ही क्या है| बहुत बार ऐसा होता है की सामान पर तो डिस्काउंट दिखा देते है, पर जब हम उसे खरीदते है, तो उस में कई और दाम जोड़ दिए जाते है जैसे डिलीवरी चार्ज, कंपनी चार्ज आदि| कभी-कभी तो ऐसा भी होता है की जिन सामानों पर डिस्काउंट लगाना होता है, उनका सही दाम डिस्काउंट लगाने के एक दिन पहले लगाया जाता है, और फिर उस दाम पर डिस्काउंट दिखाया जाता है| डिस्काउंट के समय अगर आप ध्यान दे तो ज़यादातर उन कपड़ों या सामानों पर ही डिस्काउंट मिलता है जो पुराने डिज़ाइन के होते है, यानि की ऐसा कहा जा सकता है की डिस्काउंट लगाने का असली कारन  होता है पुरानी चीज़ों की बिक्री करवाना| इसका निष्कर्ष निकाले तो यही कह सकते है किसी भी सामान को सिर्फ इसीलिए न ख़रीदे क्योंकि उसपर डिस्काउंट है , बलकि इसीलिए ख़रीदे, क्योंकि आपको असल मायने में सामान से लगे डिस्काउंट से फायदा हो रहा है| 

2. शोपिंग एप्प (app) के डिजिटल बैलेंस का सही इस्तेमाल- इंटरनेट पर उपलब्ध लगभग हर ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर डिजिटल वॉलेट की सुविधा उपलब्ध होती है, जहाँ उपयोगकर्ता (Users) पैसे जोड़ते है, और इन पैसों से ऑनलाइन खरीददारी करते है| डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल करना गलत नहीं है, पर इस बात का ध्यान जरूर रखे की कहीं आप अपने डिजिटल वॉलेट में बहुत सारे पैसे तो नहीं जमा कर रहे! डिजिटल वॉलेट में रखे पैसों का इस्तेमाल सिर्फ ऑनलाइन खरीददारी के लिए ही किया जा सकता है| डिजिटल वॉलेट में पैसे जमा करने से अच्छा है की इन पैसों को आप अपने बैंक के खाते में जमा करे, जिसे आप जब चाहे अपने ज़रुरत के हिसाब से निकाल सकते है| इस बात का भी ध्यान रखे की, जब आप ऑनलाइन ख़रीदे गए किसी सामान को वापस करते है तो इसके पैसे वापस कहाँ जाते है| यदि ये पैसे वापस आपके डिजिटल वॉलेट में आते है तो अगली बार खरीददारी करते समय, इसी पैसे का इस्तेमाल करे, और अपने डिजिटल वॉलेट में अधिक पैसे जोड़ने से बचे| 

3. ऑनलाइन चार्ज- ऑनलाइन लेन-देन के प्रक्रिया में सामान के MRP के अलावा भी और कई चार्जेस जोड़े जाते है जैसे, कन्वेयेन्स (convenience) चार्ज, डिलीवरी चार्ज, ऑनलाइन चार्ज, आदि| इन चार्जेस से आपके बिल को ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता पर जब आप एक महीने में दिए गए इन चार्जेस को एक जगह जोड़ेंगे, तो ये बहुत ज़्यादा होंगे| जैसे मान लेते है की महीने में करीब दस बार अपने किराना का सामान मंगवाया, काम से काम दो बार फिल्म के टिकट्स ख़रीदे, और 3-4 बार ऑनलाइन खाना मंगवाया| अगर हर बार आपको 40-50 रुपये डिलीवरी चार्ज लगे तोह महीने का डिलीवरी चार्ज लगभग 1000 रपये के आसपास हो जायेगा| इस अधिक खर्च को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है, एक बार में ज़रुरत के हर सामान को ऑनलाइन आर्डर कर लेना, ताकि डिलीवरी चार्ज सिर्फ एक बार देना पड़े| जहाँ तक बात रही फिल्म के टिकट की तोह इसे काउंटर से ही ख़रीदे ताकि कन्वेयेन्स चार्ज से बच सके| 

ऊपर दिए गए बातों का ध्यान रखते हुए यदि आप ऑनलाइन खरीददारी करते है तो आप अच्छे-खासे पैसे बचा सकते है, जो अक्सर बेमतलब के खर्चों में ख़त्म हो जाते है| उससे भी ज़्यादा अच्छा होगा, यदि आप इन बचाये हुए पैसों को म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करे, ऐसा करके आप अपने भविष्य के योजनाओ को आर्थिक तौर पर सुरक्षित कर सकते है| आप चाहे तो  बचाये हुए डिलीवरी चार्ज से से आप म्यूच्यूअल फण्ड में सिप (SIP) के ज़रिये निवेश शुरू कर सकते है| ये तो वही बात हो गयी, खरीददारी की खरीददारी हो गयी, साथ ही भविष्य की तयारी भी हो गयी|


धन्यवाद!


*म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, अथवा स्कीम से सम्बंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े|अनुछेद में दिए गए चित्र केवल उदहारण के पात्र है|