अगर मैं आपसे पुछु की बेहतर क्या है, कंप्यूटर या फिर लैपटॉप, तो आपका जवाब क्या होगा? मैं बताती हूँ, आप यही कहेंगे, की लैपटॉप सिर्फ कंप्यूटर का विकसित रूप है जिसे आप जहाँ चाहे, लेकर जा सकते है, और कंप्यूटर की तरह आपको लैपटॉप में किसी तरह के तार के कनेक्शंस की चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है| सिप निवेश भी कुछ इसी प्रकार है| सिप निवेश भी, म्यूच्यूअल फण्ड निवेश का एक विकसित रूप है जिसके तहत, निवेशकों को निवेश राशि जमा करने की प्रक्रिया में एक अनोखी सुविधा मिलती है|

सिप निवेश के तहत म्यूच्यूअल फण्ड निवेशकर्ताओं को, अपने निवेश राशि की रकम के एक निश्चित हिस्से को, नियमित समय के अंतराल पर जमा करने की सुविधा मिलती है| 

जब कोई निवेशकर्ता, अपने म्यूच्यूअल फण्ड निवेश की शुरुवात करते है, शुरू में उनके समक्ष दो विकल्प पेश किये जाते है, पहला जिसमे उन्हें अपने निवेश को शुरू करने के लिए एकमुश्त राशि जमा करना होता है, और दूसरा जहाँ उन्हें अपने निवेश को शुरू करने के लिए सिप (SIP) के प्रावधान की सुविधा दी जाती है|

गौर करने वाली बात ये है की, दोनों ही, एक मुश्त निवेश और सिप निवेश, म्यूच्यूअल फण्ड निवेश के अंतर्गत आते है, फिर इन दोनों में बेहतर क्या है, इसका चुनाव कैसे किया जाये| 

सिप निवेश के तहत निवेशकर्ता सुचारु और नियमित रूप से अपने निवेश की योजना बना सकते है|

निचे दिए गए बिंदु आपको सिप निवेश और एकमुश्त निवेश के विभिन्नताओं के बारे में बताएँगे, जिसे पढ़ने के बाद आप खुद तय कर पाएंगे की आपके लिए बेहतर क्या है:  

1एकमुश्त रकम या नियमित इन्सटॉलमेंट (Lump-sum or SIP)- अगर हम पहले के म्यूच्यूअल फण्ड निवेश की बात करे तो, पहले निवेश शुरू करने के लिए लोगों को एकमुश्त राशि जमा करनी पड़ती थी, और इस बड़े से रकम को जमा करने के लिए उन्हें लम्बा समय लग जाता था, जिसका नतीजा होता था, लोग अपना निवेश देर से शुरू करते थे, और काम मुनाफा कमाते थे| अब सिप निवेश के तहत, किसी भी निवेशकर्ता को बड़े रकम के बचत का इंतज़ार करने की ज़रुरत नहीं है, आज ही बल्कि अभी ही वह अपना निवेश मात्रा 100 रुपये के छोटे रकम से भी शुरू कर सकते है| अब म्यूच्यूअल फण्ड निवेश में, ऐसा है की अगर आप बड़े रकम के साथ निवेश शुरू करना कहते है तो आप एकमुश्त निवेश कर सकते है और यदि आप छोटे रकम के साथ नियमित निवेश शुरू करना चाहते है तो सिप निवेश के तहत आप अपना निवेश शुरू कर सकते है|

2. रुपया कॉस्ट अवेरजिंग (Rupee Cost Averaging): एक वाक्य में कहे तो रुपया कॉस्ट अवेरजिंग, सिप (SIP) निवेश को और भी आसान और मज़ेदार बनाता है| मार्केट में निवेश के सही समय की जानकारी लेना आसान नहीं है| इसके लिए निवेशकर्ता को मार्केट के मूल्य पर नियमित नज़र रखनी पड़ती, ताकि वो मार्केट में ऐसे समय पर निवेश करे, जब मार्केट का मूल्य कम हो और निवेशकर्ता ज़्यादा से ज़्यादा यूनिट्स खरीद सके| परन्तु मार्केट के मूल्य पर नियमित नज़र रखना इतना आसान भी नहीं है| इसीलिए सिप (SIP) के अंतर्गत रुपया कॉस्ट अवेरजिंग को जोड़ा गया है जिसके तहत अब निवेशकर्ता को मार्केट में निवेश के सही समय की जानकारी लेने की आवश्यकता नहीं है| रुपया कॉस्ट अवेरजिंग के तहत निवेशकर्ता ऐसे समय पर ज़्यादा यूनिट खरीद सकते है जब एसेट का मार्केट मूल्य कम हो|

3. फाइनेंसियल डिसिप्लिन (Financial Discipline): सिप निवेश का सबसे बड़ा फायदा है, इसके अंतर्गत कोई भी निवेशकर्ता अपने निवेश की योजना को नियमित तरीके से प्रयोजित करते है| जब निवेशकर्ता मासिक सिप निवेश करते है, तो हर महीने में सिप निवेश के रकम को जमा करने के लिए एक तारीख निश्चित की जाती है, और इसी तारीख के अनुसार निवेशकर्ता अपने खर्चों की योजना बनाते है|

इस बात में कोई दो रे नहीं की म्यूच्यूअल फण्ड निवेश सही है, अब निवेशकर्ता अपने निवेश राशि को जमा करने के लिए किस तरीके का चुनाव करते है, ये पूरी तरह से निवेशकर्ता के निवेश ऑब्जेक्टिव और जोखिम सहने की छमता पर निर्भर करता है| यदि निवेशकर्ता एकमुश्त राशि के साथ निवेश करना चाहते है , कर सकते है और यदि उन्हें लगता है की सिप निवेश उनके लिए सही है तो भी वो अपना निवेश, सिप के तहत कर सकते है| मुद्दे की बात है, यदि मार्केट में आज कोई नया स्मार्टफोन आये, जिसमे आपके फ़ोन से ज़्यादा फीचर्स हो तो आप क्या करेंगे, ज़ाहिर सी बात है आप अपने फ़ोन को नए फ़ोन से बदलना पसंद करेंगे, तो फिर निवेश के मामले में पुराने ज़माने में क्यों रहे! सिप निवेश को अपनाएं और आज के ज़माने के निवेश के फ़ायदों का लाभ उठायें|  


धन्यवाद !


*म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, अथवा स्कीम से सम्बंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े|अनुछेद में दिए गए चित्र केवल उदहारण के पात्र है|